Pandit Jawaharlal Nehru : जिनका जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे।उनके पिता, मोतीलाल नेहरू (1861-1931), एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित थे।
मोती लाल नेहरू सारस्वत कौल ब्राह्मण समुदाय से थे, स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। उनकी माता स्वरूपरानी थुस्सू (1868-1938), जो लाहौर में बसे एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी,मोतीलाल की दूसरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। जवाहरलाल तीन बच्चों में से सबसे बड़े थे, जिनमें बाकी दो लड़कियां थी। बड़ी बहन, विजया लक्ष्मी, बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। सबसे छोटी बहन, कृष्णा हठीसिंग, एक उल्लेखनीय लेखिका बनी और उन्होंने अपने परिवार-जनों से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं।
Pandit Jawaharlal Nehru ने कुल कितनी किताबें लिखी?
नेहरू समग्र का पहला खंड 1946 तक का है और दूसरा खंड 2 सितंबर 1946 से 27 मई 1964 तक का है। हर किताब में औसतन 600 से 800 पृष्ठ हैं और कुल जमा पंद्रह किताबें हैं। गौरतलब यह है कि नेहरू समग्र में उनके द्वारा लिखी तीन किताबें ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’, ‘ग्लिम्सेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ तथा ‘आत्मकथा’ शामिल नहीं की गई हैं।
डिस्कवरी ऑफ इंडिया क्या है “Pandit Jawaharlal Nehru
डिस्कवरी ऑफ इंडिया की यात्रा प्राचीन इतिहास से शुरू होती है, जो ब्रिटिश राज के अंतिम वर्षों तक चलती है । नेहरू उपनिषदों , वेदों और प्राचीन इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के अपने ज्ञान का उपयोग पाठक को सिंधु घाटी सभ्यता से भारत के विकास से परिचित कराने के लिए करते हैं, सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के माध्यम से हर विदेशी आक्रमणकारी, वर्तमान परिस्थितियों में लाया।
नेहरू को अन्य भारतीय नेताओं के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए जेल में डाल दिया गया था , और उन्होंने इस समय का उपयोग भारत के इतिहास के बारे में अपने विचारों और ज्ञान को लिखने के लिए किया था। पुस्तक भारतीय इतिहास , दर्शन और संस्कृति का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है , जैसा कि अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे एक भारतीय की आंखों से देखा जाता है। उन्होंने अपने कारावास के दौरान पुस्तक लिखी।

Pandit Jawaharlal Nehru शिक्षा :
Jawaharlal Nehru ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया।
Pandit Jawaharlal Nehru आज़ादी के आंदोलन के दौरान गाँधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े। असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में तो हमने नेहरू जी की भूमिका के बारे में पढ़ा ही है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि नेहरू जी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ सबसे पहला आंदोलन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में पहले किसान मोर्चे के साथ शुरू किया था। साइमन कमिशन के खिलाफ लखनऊ के प्रदर्शन में अंग्रेज़ों की पुलिस ने उनके ऊपर लाठियाँ भी बरसाई थीं।
युवा नेता Pandit Jawaharlal Nehru
आज़ादी का आंदोलन जैसे-जैसे संगठित हो रहा था, वैसे-वैसे नेहरू जी एक ऐसे अद्भुत युवा नेता के रूप में उभरते चले गए जो सभी वगों और क्षेत्रों में प्रिय थे और सबको स्वीकार्य थे। लोग उन्हें सिर्फ आंदोलनकारी नहीं बल्कि दूरदर्शी नेता के रूप में भी देखने लगे थे। आज़ादी के लिए लड़ते हुए वे 9 बार जेल गए।
Jawaharlal Nehru जी का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था और उन्हें दुनिया के बेहतरीन शिक्षा संस्थानों में पढ़ने का मौका मिला था। उनके सामने राजसी ठाट-चाट के साथ अपनी जिंदगी बिताने के पूरे अवसर थे। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा।
उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

लेकिन उन्होंने अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जीवन समर्पित करना ज़्यादा जरूरी समझा। देश के उस समय के सबसे प्रतिष्ठित वकील और उनके पिता मोतीलाल नेहरू भी जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर ही स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए। इतिहास गवाह है कि मोतीलाल नेहरू के रूप में आंदोलनकारियों को अंग्रेज़ जजों के छक्के छुड़ाने वाला वकील मिल गया था।
आज़ादी के बाद के भारत की मजबूत नींव रखने का काम गाँधी जी द्वारा नेहरू जी के कंधों पर रखा गया। अंग्रेजों ने जिस हाल में भारत को छोड़ा था, वहाँ से एक ऐसा टाष्ट्र खड़ा करना जो अपने संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए उद्योग, व्यापार और सुरक्षा के हर मोर्चे पर सफल होता हुआ आगे बढ़े, इसकी नींव नेहरू जी के नेतृत्व में ही रखी गई।
1929 लाहोट कांग्रेस
929 के लाहोट कांग्रेस अधिवेशन में Jawaharlal Nehru अध्यक्ष चुने गए तो उन्होंने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया। इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक झंडा फहराया गया। इसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे टाष्ट्र में जगह-जगह सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ *ली। इसके बाद 18 साल तक पूरे देश में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
Jawaharlal Nehru गिरफ़्तारी
Jawaharlal Nehru ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया।

8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। 1803 में, अहमदनगर किला दिखने में गोल था, जिसमें चौबीस बुर्ज, एक बड़ा द्वार और तीन छोटे सैली बंदरगाह थे। इसमें हिमनद था , कोई ढका हुआ रास्ता नहीं था; एक खाई , जिसके दोनों तरफ पत्थर लगे हुए हैं, लगभग 18 फीट (5.5 मीटर) चौड़ी, जिसके चारों ओर 9 फीट (2.7 मीटर) पानी है, जो ढलान के शीर्ष से केवल 6 या 7 फीट (2.1 मीटर) के भीतर ही पहुंचता है ; उसमें चारों ओर लम्बे-लम्बे नरकट उग आये। घाट केवल एक गज चौड़ा था
Jawaharlal Nehru : जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कैसे हुई
Jawaharlal Nehru 26-27 मई की रात सो नहीं पाए थे और उन्हें पीठ में भयंकर दर्द उठ रहा था। 27 मई 1964 को सुबह 6.30 बजे के करीब उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया और फिर तुरंत बाद हार्ट अटैक भी आ गया। नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के बुलाने पर डॉक्टर मौके पर पहुंचे और नेहरू को बचाने की कोशिश की, 8 घंटे तक वह कोमा में रहे इसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई
जवाहरलाल नेहरू 14 नवंबर को बाल दिवस
Jawaharlal Nehru को अक्सर प्यार से चाचा नेहरू के नाम से भी बुलाया जाता था। हर वर्ष स्कूलों में बाल दिवस मनाया जाता है और बच्चों के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। हालांकि 1964 से पहले 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था क्योंकि यूनाइटेड नेशंस इसी दिन को वर्ल्ड चिल्ड्रन डे के रूप में मनाता था। लेकिन नेहरू जी की मृत्यु के बाद संसद में प्रस्ताव पारित किया गया जिसके अनुसार उनके जन्मदिन को हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
बच्चों का मन बहुत ही निर्मल और कमजोर होता है और उनके सामने हुई हर छोटी चीज या बात उनके दिमाग पर असर डालती है। उनका आज, देश के आने वाले कल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए उनके क्रियाकलापों, उन्हें दिए जाने वाले ज्ञान और संस्कारों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है। बच्चों को सही शिक्षा, पोषण, संस्कार मिले यह हमारे देश के हित के लिए काफी जरुरी है, क्योंकि आज के बच्चे ही कल का भविष्य है। जो भी हो वह कार्य के प्रति समर्पित हो तभी देश आगे बढ़ पायेगा।
Pandit Jawaharlal Nehru भारतीय गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री थे और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने देश के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने समाज के समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण पहल की। नेहरू जी के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए गए और विज्ञान, तकनीक, और अंतरिक्ष अनुसंधान को प्राथमिकता दी गई।
- शिक्षा के क्षेत्र में सुधार: Jawaharlal Nehru जी ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े निवेश किए। इसके परिणामस्वरूप, शिक्षा के क्षेत्र में विकास हुआ और साक्षरता दर बढ़ी।
- वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी शिक्षा: Jawaharlal Nehru जी ने वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारत को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में विकसित करने का प्राथमिकता दी और इंजीनियरिंग और विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा की सुविधाएं बढ़ाई।
- परमाणु ऊर्जा के विकास: नेहरू जी ने परमाणु ऊर्जा के महत्व को समझा और इसके विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारत में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश किया और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा दिया।
- अंतरिक्ष अनुसंधान: नेहरू जी ने भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की।
- ग्रामीण विकास: नेहरू जी ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम और पंचायती राज की शुरुआत की। इससे गांवों में किसानों की स्थिति में सुधार हुआ और कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।
Pandit Jawaharlal Nehru राष्ट्र निर्माण-
नेहरू इस बात से वाकिफ थे के लोकतांत्रिक समाज के निर्माण जो कि समानता पर आधारित हो के लिए सबसे जरूरी है शिक्षा, स्वास्थ्य और जागरूकता। स्वतंत्र भारत की साक्षरता दर बेहद कम थी। इसलिए सरकार ने प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी तकनीकी शिक्षा की सुविधाएं विकसित करने पर एक बड़ी राशि खर्च की। जहां 1951 में शिक्षा पर खर्च 19.8 करोड़ था वहीं यह 1964- 65 में बढ़कर 146.27 करोड़ हो गया। यह 7 गुना से भी अधिक वृद्धि थी।
नेहरू के शासनकाल के दौरान शिक्षा खासकर लड़कियों की शिक्षा में भारी प्रगति दिखाई पड़ी। 1951 और 1961 के बीच स्कूलों में छात्रों की संख्या दोगुनी और छात्राओं की संख्या 3 गुनी हो गई। आजादी के दौरान सिर्फ 18 विश्वविद्यालय थे जबकि करीब 3,00,000 विद्यार्थी, 1964 तक विश्वविद्यालयों की संख्या 54 और कॉलेजों की संख्या 2500 हो गई। स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की संख्या 6.13 लाख हो चुकी थी।
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