Alluri Sitarama Raju : महान क्रांतिकारी अल्लूटी सीताराम राजू संघर्ष , जन्म , निधन, 2023

Posted by

अल्लूटी सीताराम राजू : देश की स्वतंत्रता में बहुत-से ऐसे लोगों का योगदान रहा जिन्होंने अपना सब कुछ देश के हित में त्याग दिया। पर बहुत-से ऐसे लोग भी थे जिनके पास सुख-सुविधा नहीं थी, जंगलों में रहते थे, पर देश के लिए जज़्बा पूरा था। उनके पास पैसे और संसाधन कम थे, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। उनके पास जो भी उपलब्ध संसाधन थे उन्होंने उनका भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपने देश और उसके लोगों के हित के लिए कदम उठाए। इनमें कुछ वनवासी भी थे। वनवासियों को आज़ादी प्यारी होती है और उन्हें किसी बंधन में जकड़ा नहीं जा सकता है। इन्हीं वनवासियों ने सबसे पहले जंगलों से ही ब्रिटिश दमनकारियों के विरुद्ध संघर्ष किया था। ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे अल्लूटी सीताराम राजू। उन्हें बचपन से ही क्रांतिकारी संस्कार दिए गए थे।

अल्लूटी सीताराम राजू जन्म

आदिवासी स्वातंत्र्य प्रिय हैं, उन्हें किसी बंधन में अथवा पराधीनता में नहीं जक़डा जा सकता है, इसीलिये उन्होंने सबसे पहले जंगलों से ही विदेशी आक्रांताओं एवं दमनकारियों के विरुद्ध उनका यह संघर्ष देश के स्वतंत्र होने तक निरंतर चलता रहा। आज हम कह सकते हैं कि जंगलों के टीलों से ही स्वाधीनता की योजना का आरंभ हुआ। यह प्रकृति पुत्र हैं, इसीलिए जंगलों से ही स्वतंत्रता का अलख जगाया। ऐसे प्रकृति प्रेमी आदिवासी क्रांतिकारियों की लंबी शृंखला हैं। कई परिदृश्य में छाऐ रहे और कई अनाम रहे। जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन स्वतंत्रता के संघर्ष में गुजारा। ऐसे ही महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897 को विशाखापट्टणम जिले के पांड्रिक गांव में हुआ।

Alluri Sitarama Raju : महान क्रांतिकारी अल्लूटी सीताराम राजू संघर्ष , जन्म , निधन, 2023

पालनपोषण

राजू का पालनपोषण उनके चाचा अल्लूरी रामकृष्ण के परिवार में हुआ। इनके पिता अल्लूरी वेंकट रामराजू गोदावरी के माग्गूल ग्राम में रहते थे। उन्होंने बाल अवस्था में ही सीताराम राजू को यह बताकर क्रांतिकारी संस्कार दिए कि अंग्रेज ही तो हमें गुलाम बनाए हैं, जो देश को लूट रहे हैं। इन शब्दों की सीख के साथ ही पिता का साथ तो छूट गया, लेकिन विप्लव पथ के बीज लग चुके थे।

अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

अल्लूरी सीताराम राजू एक संन्यासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म चार जुलाई 1897 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में हुआ था। उनके पिता का नाम वेंकटराम राजू था। उनका बचपन अंग्रेजों का अत्याचार सहते हुए बीता। बड़े होने पर उन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने 1922 से लेकर 1924 तक चले राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया। 

संन्यासी जीवन ” अल्लूटी सीताराम

अपनी तीर्थयात्रा से वापस आने के बाद अल्लूटी सीताराम राजू कृष्णदेवीपेट में आश्रम बनाकर ध्यान व साधना आदि में लग गए। उन्होंने संन्यासी जीवन जीने का निश्चय कर लिया था। दूसरी बार उनकी तीर्थयात्रा का प्रयाण नासिक की ओर था, जो उन्होंने पैदल ही पूरी की थी। यह वह समय था, जब पूरे भारत में ‘असहयोग आन्दोलन’ चल रहा था। आन्ध्र प्रदेश में भी यह आन्दोलन अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया था। इसी आन्दोलन को गति देने के लिए सीताराम राजू ने पंचायतों की स्थापना की और स्थानीय विवादों को आपस में सुलझाने की शुरुआत की। सीताराम राजू ने लोगों के मन से अंग्रेज़ शासन के डर को निकाल फेंका और उन्हें ‘असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेने को प्रेरित किया।

ब्रिटिश सरकार की चिंता

अल्लूटी सीताराम राजू की बढ़ती गतिविधियों से अंग्रेज़ सरकार सतर्क हो गयी। ब्रिटिश सरकार जान चुकी थी की अल्लूटी सीताराम राजू कोई सामान्य डाकू नहीं है। वे संगठित सैन्य शक्ति के बल पर अंग्रेज़ों को अपने प्रदेश से बाहर निकाल फेंकना चाहते है। सीताराम राजू को पकड़वाने के लिए सरकार ने स्कार्ट और आर्थर नाम के दो अधिकारियों को इस काम पर लगा दिया। अल्लूटी सीताराम ने ओजेरी गाँव के पास अपने 80 अनुयायियों के साथ मिलकर दोनों अंग्रेज़ अधिकारियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ में ब्रिटिशों के अनेक आधुनिक शस्त्र भी उन्हें मिल गए। इस विजय से उत्साहित अल्लूटी सीताराम राजू ने अंग्रेज़ों को आन्ध्र प्रदेश छोड़ने की धमकी वाले इश्तहार पूरे क्षेत्र में लगवाये।

इससे अंग्रेज़ सरकार और भी अधिक सजग हो गई। उसने अल्लूटी सीताराम राजू को पकड़वाने वाले के लिए दस हज़ार रुपये इनाम की घोषणा करवा दी। उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लाखों रुपया खर्च किया गया। मार्शल लॉ लागू न होते हुए भी उसी तरह सैनिक बन्दोबस्त किया गया। फिर भी सीताराम राजू अपने बलबूते पर सरकार की इस कार्रवाई का प्रत्युत्तर देते रहे। ब्रिटिश सरकार लोगों में फुट डालने का काम सरकार करती थी, लेकिन अल्लूरी राजू की सेना में लोगों के भर्ती होने का सिलसिला जारी रहा।

पुलिस से मुठभेड़
ब्रिटिश सरकार पर अल्लूटी सीताराम राजू के हमले लगातार जारी थे। उन्होंने छोड़ावरन, रामावरन् आदि ठिकानों पर हमले किए। उनके जासूसों का गिरोह सक्षम था, जिससे सरकारी योजना का पता पहले ही लग जाता था। उनकी चतुराई का पता इस बात से लग जाता है की जब पृथ्वीसिंह आज़ाद राजमहेन्द्री जेल में क़ैद थे, तब सीताराम राजू ने उन्हें आज़ाद कराने का प्रण किया। उनकी ताकत व संकल्प से अंग्रेज़ सरकार परिचित थी। इसलिए उसने आस-पास के जेलों से पुलिस बल मंगवाकर राजमहेंद्री जेल की सुरक्षा के लिए तैनात किया। इधर सीताराम राजू ने अपने सैनिकों को अलग-अलग जेलों पर एक साथ हमला करने की आज्ञा दी। इससे फायदा यह हुआ की उनके भंडार में शस्त्रों की और वृद्धि हो गयी। उनके इन बढ़ते हुए कदमों को रोकने के लिए सरकार ने ‘असम रायफल्स’ नाम से एक सेना का संगठन किया। जनवरी से लेकर अप्रैल तक यह सेना बीहड़ों और जंगलों में सीताराम राजू को खोजती रही। मई 1924 में अंग्रेज़ सरकार उन तक पहुँच गई। ‘किरब्बू’ नामक स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ।

Alluri Sitarama Raju : महान क्रांतिकारी अल्लूटी सीताराम राजू संघर्ष , जन्म , निधन, 2023

गुरिल्ला युद्ध

अल्लूटी सीताराम राजू गुरिल्ला युद्ध करते थे और पहाड़ों में छुप जाते थे। गोदावरी नदी के पास फैली पहाड़ियों में राजू व उसके साथी युद्ध का अभ्यास करते और अंग्रेज़ों पर आक्रमण की रणनीति बनाते थे। ब्रिटिश अफसर, राजू से लगातार मात खाते रहे। इससे परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने आंध्र की पुलिस को राजू को पकड़ने का जिम्मा सौंपा लेकिन वह नाकाम रही। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने केरल की मालाबार पुलिस के दस्ते को राजू को पकड़ने के लिए लगाया। मालाबार पुलिस फोर्स से टाजू की कई मुठभेड़ें हुई लेकिन पुलिस को हर बार हार का ही सामना करना पड़ा।

राजू को सबसे अधिक अंग्रेज़ों के खिलाफ रम्पा विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिशर्म के खिलाफ विद्रोह करने के लिए विशाखापट्टनम और पूर्वी गोदावरी जिलों के आदिवासी लोगों को संगठित किया था। आदिवासी आबादी से वन उपयोग के अधिकार को जब्त करने के विरोध में रम्पा विद्रोह की शुरुआत की गई थी। राजू और उनके लोगों ने कई पुलिस स्टेशनों पर हमला किया और कई ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला और उनकी लड़ाई के लिए हथियार और गोला-बारूद चुटा लिया। लोगों ने उन्हें ‘मान्यम वीरुडू नाम से सम्मानित किया, जिसका अर्थ है- ‘जंगलों का नायक।

अल्लूटी सीताराम राजू की निदान

अंग्रेजी पुलिस उनके नाम से इतना डरती थी कि जब वे पकड़े गए तो इस महान क्रांतिकारी को नदी किनारे ही एक वृक्ष से बाँधकर गोली मार दी गई। यह उनका साहस और देश के लिए प्यार था जिससे पुलिस को हमेशा डर लगता था।

अल्लूरी राजू विद्रोही संगठन के नेता थे और ‘असम रायफल्स’ का नेतृत्त्व उपेन्द्र पटनायक कर रहे थे। दोनों ओर की सेना के अनेक सैनिक मारे जा चुके थे। अगले दिन 7 मई को पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अल्लूटी सीताराम राजू को पकड लिया गया। उस समय सीताराम राजू के सैनिकों की संख्या कम थी फिर भी ‘गोरती’ नामक एक सैन्य अधिकारी ने सीताराम राजू को पेड़ से बांधकर उन पर गोलियाँ बरसाईं। अल्लूरी सीताराम राजू के बलिदान के बाद भी अंग्रेज़ सरकार को विद्रोही अभियानों से मुक्ति नहीं मिली। इस प्रकार लगभग दो वर्षों तक ब्रिटिश सत्ता की नींद हराम करने वाला यह वीर सिपाही शहीद हो गया।

Alluri Sitarama Raju : महान क्रांतिकारी अल्लूटी सीताराम राजू संघर्ष , जन्म , निधन, 2023

महात्मा गांधी के विचारों से थे प्रभावित

अल्लूरी सीताराम राजू महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने लोगों से खादी पहनने की अपील की। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि केवल बल प्रयोग से देश आजाद हो सकता है, अहिंसा से नहीं। भारत सरकार ने सीताराम राजू पर 1986 में डाक टिकट जारी किया था।

पीएम मोदी ने बताया ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रतीक

पिछले साल चार जुलाई 2022 को पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती पर आयोजित समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने सीतारामा राजू को एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राजू ने हमारे देश को एकजुट किया। पीएम मोदी ने कहा कि अल्लूटी सीताराम का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *